Tuesday, April 28, 2015

Swaach Bharat Abhiyan In my College

स्वच्छ भारत अभियान
             -एक कदम स्वच्छता की ओर
“स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत”
इस नारे के साथ ही भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर, 2014 को राजघाट से एक जन अभियान के आगाज़ की घोषणा की| परन्तु जल्द ही ये जन अभियान, एक जन अन्दोलन में परिवर्तित हो गया| एक ऐसा जन आन्दोलन जो कि, किसी सरकार के खिलाफ विरोध अभिव्यक्त करने के लिए नहीं था, किसी कानून की मांग नहीं कर रहा था और ना ही किसी अपराध या दुष्कर्म कि आलोचना कर रहा था| ये अभियान भारत के सौन्दर्यकरण, उसकी आधिकारिक एवं भौतिक संरचना के शुद्धिकरण एवं उसकी स्वच्छता की प्रतिकाष्ठा कर रहा था| करीब तीस लाख सरकारी कर्मचारी, लाखों स्कूली एवं कॉलेज छात्र-छात्राओं तथा अनेको प्राइवेट कम्पनियों ने अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया| परिणामस्वरूप ये अभियान, भारत का सर्वश्रष्ठ भागीदारी वाला अभियान बना|
इसी के साथ ‘मधु बाला इंस्टिट्यूट ऑफ़ कम्युनिकेशन एंड इलेक्ट्रॉनिक मीडिया’(एम्बिसेम) ने भी इस अभियान की सरहाना करते हुए. इसका स्वागत किया और इसमें भागीदारी निभाने का निर्णय लिया| फिर एम्बिसेम परिवार की मुखिया एवं डायरेक्टर प्रो. एम.बी. जुल्का ने पीएम के इन प्रयासों को स्वीकारते हुए 2 अक्टूबर को अपने संस्थान के सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं सभी कर्मचारियों के साथ स्वच्छता की ओर कदम बढाने की शपथ ली| एम्बिसेम में शपथ ग्रहण समारोह, राजघाट पर पीएम द्वारा दिलाई जा रही शपथ के सीधे प्रसारण के साथ संपन्न हुआ| शपथ ग्रहण के पश्चात ही प्रो. एम.बी. जुल्का ने पूरे ऐम्बिसेम परिवार को संबोधित करते हुए स्वच्छता की महत्वता बताई एवं समझाई| उन्होंने इसी के साथ ऐम्बिसम को इस अभियान का प्रतिभागी भी घोषित किया| इसी के साथ उन्होंने इस अभियान के समर्थन में यह भी बताया कि स्वच्छता भारत में कितनी आवश्यक है, एवं हम सबके मामूली से प्रयास से भी इसके कितने अच्छे नतीजे सामने आ सकते हैं| प्रोफेसर एम.बी जुल्का ने सभी को खूब प्रोत्साहित कर इस अभियान में शामिल होने एवं भारत कि गरिमा बढाने को कहा|
इसी के साथ ऐम्बिसम ने स्वच्छ भारत की शुरुआत की| प्रो. एम.बी. जुल्का, माननीय सचिव श्री पी.के. भटनागर एवं डिप्टी डायरेक्टर श्रीमती प्रियंका जुल्का समेत सभी ने संस्थान के आस-पास स्वच्छता कायम करने का बीड़ा उठाया| इसी के साथ सभी शिक्षकों, कर्मचारीयों एवं विद्यार्थियो ने संस्थान के इर्द्गिर्ध स्थित क्षेत्रों की सफाई की| विद्यार्थिओं एवं संस्थान के इस कदम को देख आस-पास के लोग भी प्रोत्साहित हुए और संस्थान एवं अभियान के साथ जुड़े| साथ ही संस्थान ने हर एक गन्दी जगह को साफ़ कर, उस जगह की पहले एवं बाद की तस्वीर लेकर ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की वेबसाइट पर डाल, अभियान के प्रति अपनी संवेदना एवं भागीदारी व्यक्त भी की|
अन्तः प्रो. जुल्का ने सभी को स्वच्छ दूत बोलकर नवाज़ा| इसी के साथ यह भी घोषणा की, कि अबसे आने वाले सौ हफ़्तों तक ‘स्वच्छ भारत अभियान’ के चलते हर शुक्रवार को संस्थान मदनगीर इलाके की सफ़ाई करेगा| संस्थान द्वारा साफ़ किये जानेवाले इलाकों में से कुछ प्रमुख है- संस्थान के निकट स्थित मंदिर, डिडिए कम्युनिटी हॉल एवं सिटी फाईनेंशिअल काम्प्लेक्स| इसी के साथ ही संस्थान ने मदनगीर के कई और इलाकों को भी स्वच्छ करने में रूचि दिखाते हुए, उन्हें पूर्णतः साफ़ करने का प्रण लिया है| हर शुक्रवार दोपहर 2 बजे सभी छात्र-छ्त्राए, शिक्षक एवं कर्मचारी मदनगीर के इलाको में छोटी छोटी टुकड़ियों में संस्थान से बाहर निकल साफ़ सफाई करते हैं एवं जनता में जागरूकता फैलाते हैं|
परन्तु, जहाँ संस्थान ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को अपनी कॉरपोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी बनाया है, वहीँ वह अपनी एक और ज़िम्मेदारी को नहीं भूला है और वो ज़िम्मेदारी है, अपने सभी स्वच्छ दूतों की सेहत| अब जब साफ़-साफाई करेंगे, तो गन्दगी में तो जाना ही पड़ेगा और गन्दगी में जाने से सेहत को हानि हो सकती है| इसलिए प्रो. जुल्का एवं माननीय भटनागर जी ने सभी की सेहत को मद्देनज़र रखते हुए एवं प्राथमिकता देते हुए सभी स्वच्छ दूतों को सारी ज़रूरी सेहत-रक्षक सामग्रियां मुहैया करवाई हैं| जैसे की- दस्ताने, चिकत्सीय मुखौटे एवं जैविक पॉलिथीन जो कि ना तो वातावरण को नुक्सान पहुंचाती है, और ना ही त्वचा को|
अब एक सवाल जो सबके ज़हन में आमूमन उत्पन्न होता है, वह यह है कि, जो कूड़ा सफाई करते समय इकठ्ठा होता है वह जाता कहाँ है? स्वच्छता अभियान का उद्देशय यह नहीं कि अपनी और अपने आसपास की जगह को तो स्वच्छ कर लिया, परन्तु जमा हुए कूड़े को ऐसे ही कहीं और फेंक दिया| इसलिए ही इसी बात को ध्यान में रखते हुए संस्थान ने नगर पालिका से सहयोग मांगा और पालिका ने सहयोग भी दिया| इसी के चलते हर शुक्रवार को जो भी कूड़ा स्वच्छता के दौरान स्वच्छ दूतों द्वारा इकठ्ठा किया जाता है, वह जैविक पॉलिथीनो में भर संस्था द्वारा बुलाये गये पालिका के वाहन में डाला जाता है जहाँ से ये कूड़ा अपने अंतिम स्थान यानी विशाल कुड़ेदानो तक पहुचाया जाता है| पूरी प्रक्रिया वातावरण को स्वच्छ एवं अदूषित बनाने में मदद करती है|
एम्बिसेम लगभग 5 महीने पहले स्वच्छ भारत अभियान से जुड़ा, जिसके परिणाम स्वरुप यह संस्थान द्वारा कामयाब एवं सफल कार्यक्रम माना गया है| इसी कामयाबी और सफलता को मद्देनज़र रखते हुए संस्था ने इस अभियान को अपने द्वारा आयोजित सालाना अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव फर्स्ट फ्रेम से जोड़ने का निर्णय लिया है| फर्स्ट फ्रेम के सातवे संस्करण में संस्थान ने ‘स्वच्छ भारत अभियान’ को न केवल अपनी कॉर्पोरेट सामजिक ज़िम्मेदारी(सी.एस.आर) बल्कि पूरे समारोह का मुख्य उद्देश्य भी बनाया है| आयोजित होने वाले महोत्सव के हर एक औपचारिक दस्तावेज़ पर स्वच्छ भारत अभियान का गांधी जी के चश्मे वाला चिन्ह, फेस्टिवल प्रतिक चिन्ह के साथ लगाकर इसकी औपचारिकता को भी संस्थान ने पूरा किया है| अब इसके दो फायदे होंगे- एक यह कि एक भारतीय अभियान को संस्थान मोहत्सव के ज़रिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाया और दूसरा फायदा थोड़ा रोचक है, कि गाँधी जी स्वयं अपने चश्मे से ऐम्बिसम द्वारा आयोजित इस फिल्म मोहत्सव को देख पाएंगे|
बहराल इस सभी के बीच 2 अक्टूबर, 2014 को प्रारंभ हुई इस मुहीम को ऐम्बिसम बीते समय से काफी समर्थन दे रहा है, इसको एक ज़िम्मेदारी ही नहीं, बल्कि एक दायित्व के रूप में निभा रहा है| इसी के साथ संस्थान इस मुहीम को लेकर अपनी भागीदारी निभा रहा है, विद्यार्थियों में ही नहीं, समाज में जागरूकता भी फैला रहा है| प्रोत्साहित विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के साथ स्वच्छता का ये मिशन एक दुर्लभ सफ़र जैसा हो गया है| इसके परिणाम स्वरुप भारत एक स्वच्छ देश बनेगा| अंत में आप सभी से केवल एक ही प्रार्थना है कि अपने आसपास कि जगहों को साफ़ रखें, तथा गाँधी जी की यह पंक्तियाँ सदैव याद रखें-
                                  “स्वच्छता ही प्रभुता है,
                                                सफ़ाई ही खुदाई है||”